


गुना ज़िले की राजनीति में बड़ा बदलाव देखने को मिला है। कांग्रेस ने राघौगढ़ राजघराने के राजकुमार और पूर्व मंत्री जयवर्धन सिंह को गुना जिला कांग्रेस अध्यक्ष नियुक्त किया गया है। एक और जहां भाजपा जयवर्धन सिंह के राजनीतिक भविष्य को लेकर तंज कस रही है, वहीं दूसरी ओर कांग्रेस की रणनीतिक चाल माना जा रहा है, क्योंकि गुना-शिवपुरी-आशोकनगर का इलाका लंबे समय से ग्वालियर राजघराने के प्रभाव वाला क्षेत्र माना जाता रहा है।
सिंधिया से सीधा मुकाबला
राजनीतिक जानकारों का कहना है कि अब यहां का समीकरण और रोचक हो गया है, क्योंकि जयवर्धन सिंह का सीधा मुकाबला केंद्रीय मंत्री और ग्वालियर घराने के महाराज ज्योतिरादित्य सिंधिया से होगा। दोनों ही युवा और करिश्माई नेता हैं, जिनकी पकड़ न केवल अपने-अपने इलाकों में बल्कि प्रदेश की राजनीति में भी मजबूत है।
कार्यकर्ताओं में आएगा जोश
गुना लोकसभा सीट पर सिंधिया परिवार का दशकों से दबदबा रहा है। वहीं, राघौगढ़ सीट पर दिग्विजय सिंह परिवार का किला अटूट माना जाता है। ऐसे में अब दोनों राजघरानों के युवा चेहरे आमने-सामने होंगे, जिससे राजनीतिक जंग और भी दिलचस्प हो जाएगी।
कांग्रेस संगठन का मानना है कि जयवर्धन की नई जिम्मेदारी से कार्यकर्ताओं में जोश आएगा और पार्टी यहां सिंधिया के किले को चुनौती दे पाएगी।
अप्रत्यक्ष रूप में पहले भी दे चुके हैं चुनौती
लोकसभा चुनाव 2024 में गुना प्रदेश की सबसे चर्चित सीट रही है, क्योंकि कांग्रेस ने इस लोकसभा चुनाव में जयवर्धन सिंह को गुना जिले का प्रभारी बनाया था। लेकिन यह पहला मौका है कि सिंधिया को जयवर्धन सिंह सीधी चुनौती देंगे। हालांकि जिलाध्यक्ष बनाए जाने के बाद गुना में कांग्रेस को कितना फायदा होता है। ये आने वाला वक्त ही तय करेगा। फिलहाल कहा जा सकता है कि आगामी चुनावों में यह मुकाबला “महाराज बनाम राजकुमार” के रूप में न केवल गुना बल्कि पूरे प्रदेश की राजनीति का सबसे चर्चित मुद्दा बनने जा रहा है।